{मैं कल्पना करना चाहती हूँ कि किसी स्त्री द्वारा अपने पुरुष सहकर्मी को यह बोला गया होता-“ आप तो आज गज़ब ढा रहे हैं ” इसका क्या वही असर होता जो एक स्त्री कर्मी पर हुआ?} ऐसे में मुझे उन्मुक्त जी के यहाँ यौन उत्पीड़न पर आयी पोस्ट की कुछ टिप्पणियाँ उद्धृत करना ज़रूरी लग रहा है क्योंकि वे मुझे लगातार हैरान कर रही हैं ।